मृत्यु मूर्ति - जानकारी Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मृत्यु मूर्ति - जानकारी

यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है । कहानी किसी भी धर्म के देव - देवी का असम्मान नहीं करती। यह केवल एक भयानक प्लाट को दर्शाने के लिए प्रयोग किया गया है।

इस कहानी में वर्णित देवी व तिब्बती बौद्ध धर्म के बारे में कुछ जानकारी ,

तिब्बत , इस नाम को सुनकर पहले क्या दिमाग़ में आता है ? भारत के उत्तर में ऊंचे - ऊंचे पर्वत मालाओं की गोद में अति सुंदर एक स्वप्न का देश जिसे The forbidden land भी कहते हैं । इस देश ने अपने सीने में बहुत सारे रहस्य को छुपाकर रखा है । इस रहस्यमय देश में धर्म भी बहुत ही रहस्यमय है । सचमुच तिब्बती बौद्धधर्म या वज्रयान बौद्धधर्म के जैसा पहेली रुपी धर्म विश्व में बहुत कम ही हैं । बौद्ध धर्म के साथ तंत्र के देव - देवियों का एक आश्चर्य गठबंधन है । वज्रयान से संबंधित देव - देवी की चित्र या पट आपको आश्चर्य कर देंगे ।
तारा , अवलोकितेश्वर , जम्भल , मंजूश्री जैसे शांत - शौम्य दर्शन देव - देवी के पास ही हेरूक , वज्रयोगिनी, वज्रवाराहि और यमंतक जैसे भयानक दर्शन वाले देव - देवी भी हैं जिनके मूर्ति वह चित्र देखकर ही शरीर में डर का प्रवाह हो जाता है ।
हिंदू धर्म की तरह वज्रयान में भी बहुत सारे डाकिनी , प्रेत, पिशाच, यक्ष तथा अपदेवता व अपदेवीयां भी हैं । ये नर्क , अँधेरे जगत या शायद हमारे पृथ्वी पर ही वास करते हैं । इनको साधना करके जगाने की पद्धति बहुत ही गुप्त व भयंकर है ।
बौद्ध धर्म उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र , बिहार , बंगाल , असम का एक प्राचीन धर्म है । जो बाद में दो मूल धारा महायान व हीनयान में बंट गया । इसमें तिब्बती बौद्ध धर्म हिमालय के पास स्थित विशेष कुछ स्थानों का बौद्ध धर्म है । जिसमें मूलतः तिब्बत , भूटान , सिक्किम व लद्दाख के साथ उत्तर पूर्व चीन के कुछ अंश के लोग शामिल हैं । तिब्बती बौद्ध धर्म को वज्रयान भी कहा जाता है । तिब्बती बौद्ध धर्म में विभिन्न प्रकार की धारा में सभी का अपना मत है लेकिन यह विशेषतः चार भागों में विभाजित है । जो कि शाक्य , कग्यु , निंगम्मा तथा गेलुग हैं , यही चार परंपराएं ही इस तिब्बती बौद्ध धर्म की चर्चा करते हैं । बौद्ध तंत्र मत में सृष्टि की आदि व उत्पत्ति शून्य है । इसी शून्य को वज्रयान में वज्र कहा जाता है ।
बौद्ध धर्म की सभी धाराएं यही तीन धारा अर्थात महायान , हीनयान व वज्रयान की शिक्षा प्राप्त करते चले आ रहे हैं । लेकिन कभी-कभी इन संप्रदायों में बहुत निम्न तंत्र क्रिया भी देखा जा सकता है । उसी में एक भयंकर व
सर्वनाशिनी तंत्र का उल्लेख भी मिलता है जो निंगम्मा सम्प्रदाय मानते हैं । अति गुप्त इस तंत्र साधना की मूल आराध्य देवी , देवी लाकिनी है । ऐसा भी कहा जाता है कि
सभी प्रकार के असंभव कार्य को संभव करने के लिए इस देवी की आराधना की जाती है लेकिन उसके लिए एक से अधिक प्राण की बलि देना पड़ता है ।....